Saturday, May 11, 2013

आज माँ-दिवस हैं !!!


माँ!!! 
 तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं  .जब सुबह बहुए आकर पैर छू  कर कहेगी मम्मी  हैप्पी मदर डे  तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी  तुम को   भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था यह दिन ? आज तुम गिफ्ट लेकर जब बच्चो सी खुश होती हो और  हमें फ़ोन पर बताती हो के इस बार मुझे मदर डे पर गिफ्ट मिले तो लगता हैं जैसे कोई बचपन चहक रहा हैं  
                                                                    जानती हो तुमको बहुत मिस करती हूँ .जब जब किचन में खाना बनती हूँ  तो मेवी  कहता हैं माँ आप अच्छा  खाना बनाती हो पर बड़ी मम्मी जैसा नही  . मेरे  मेवी एक दिन को ही क्यों ना जाए तुम्हारे हाथ के आलू के पराठे खाना नही भूलता  और खासकर जब तुम घी में भिगोकर उन पराठो का पहला कौर अपने हाथ से उसको खिलाती हो  घर आकर न जाने कितने दिनों तक उसका यही राग चलता हैं की बड़ी माँ यह करती बड़ी माँ वोह करती हैं .....सारा दिन मेरे पास बैठ कर पूछता हैंकी जब आप छोटी थी तो बड़ी माँ कैसी  थी क्या करती थी कैसे करती थी ?  मसाले वाले बैंगन हो या  बेसन की सब्जी ......लस्सी हो या साग .....पता नही क्या जादू होता था तुम्हारे हाथो में कि  बिना लहसुन प्याज का खाना भी आज के बड़े बड़े शेफ्स  को मात कर दे ...


 तुम कैसे कर जाती थी इतना काम .हम ७ भाई - बहन .सबके सब एक से बढ़कर एक शैतान  पर तुम्हारा अनुशासन ........ एक ही सब्जी बनेगी और हम सब भाई बहन बिना आवाज़ किये तब लौकी तो री टिंडे खा जाते थे कोई नखरा नही  और आज घर में तीन लोग हैं  और सब्जी चार तरह की बनती हैं ...फिर भी हमारे बच्चे उतना ग्लो नही करते जितना हम करते थे उस ज़माने में 
 कल मैंने मेवी को डांट दिया कि  कितना परेशान कर रखा बच्चो ने .जरा भी चैन नही तो थोड़ी देर बाद मेरे पास आ  कर  बोल पढ़ा कि बड़ी माँ वास ग्रेट  आप जैसे ७ बच्चे पाल  दिए और आज भी हैप्पी हैं  एक आप से हमारे जैसे २ बेटे नही सम्हाले जा रहे ....अगर ज्यादा परेशान हो तो बड़ी माँ को बुला लो कुछ दिन के लिय ... 

   एक बात बताओ माँ .पापा ने इतना पैसा कमाया पर तुमने कभी देखावा नही किया सिंपल सा खाना सिंपल से कपडे पहन ने   ........कभी किसी चीज से ज्यादा लगाव नही बस हाँ जानती हूँ तुमको घूमने का बड़ा शौंक था धार्मिक पर्यटन  का पापा के साथ अगर कही धार्मिक  पर्यटन पर जाना होता तो आप भूल जाती की मेरे एग्जाम चल रहे हैं बड़ी बहने  घर सम्हाल लेती थी और आप गंगा सागर बद्री नाथ केदार नाथ  न जाने कहा घूम आती  थी  मैं गुस्सा होती तो कहती की मैं जानती हूँ तुम पढ़ लोगी खुद ही पता नही बुदापे में इस लायक रहे भी या नही .अभी जितना भगवन जी से मिलना हो मिल आओ फिर तो उनको ही बुलावा देते रहना होगा कि कब मिलने आओगे ? 

सच में आज भी तुम जैसे पूजा नही कर पाती तुम्हारा फरमान कि  अगर नहाना नही सुबह तो नाश्ता नही मिलेगा .कई बार जिद में मैं  नाश्ता नही करती  मुझसे सुबह सुबह नही नहाया जाता .आप भी अपने वचन की पक्की थी मुझे सीधा लंच ही मिलता था नहाने के बाद  .आज जब केवी मेवी को सु बह उठ ते ही नहाने को कहती हूँ तो अपने को जैसे आईने के सामने पाती हूँ 


 आप का डांटना कि  सब काम सीखो .......ना जाने कैसे घर में विवाह हो  और पूरा घर अपने बल पर  सम्हालना पड़े  काम अच्छे लगते हैं चाम नही  जिस घर में जा ओगी लोग चार दिन चाम ( स्किन  ) देखेंगे उसके बाद काम ही परखेंगे  ....


 माँ आज मन करता हैं तुम्हारे पास आकर कुछ दिन रहू  पर क्या करू कुछ मेरी मजबुरिया घर परिवार  और कुछ अब तुम्हारे घर का बदला हुआ सा वातावरण ..भाई भाभिया  और तुम अब उनकी जैसे ज्यादा हो गयी हो .   अब कैसे  रह सकती हूँ  ....मेरा मन ही नही लगता . फिर तुम गुस्सा करती हो कि के बिगड़ गयी हो ससुराल जाकर ....स्वतंत्र ने सर पर चढ़ा  कर रखा हुआ हैं तुझे !! तब सब जोर से हस देते हैं पर मेरी आँखे अन्दर तक भीग जाती हैं .
                                     जानती हो तब तुमसे कितनी बहस करती थी मैं हर बात पर  .और अगर आज मुझे कोई तुम्हारी जरा सी भी शिकायत करता हैं तो मुझे बहुत जोर से गुस्सा आता हैं 
.माँ अब तुम आखिरी पायदान पर हो उम्र की सब ऐसे क्यों कहते हैं  मैं तो चाहती हूँ के तुम उम्र भर मेरे सर पर चांदनी से बिखरीरहो जरा भी परेशानी हो  जरा भी ख़ुशी हो झट से तुम्हारा नंबर मिलाउ और बात कर लू 

 पता हैं कल रात मेवी बोला कि माँ आपको नींद नही आरही ना तो अपने तकिये पर अपनी माँ का नाम लिखो अच्छे से नींद आएगी .और मैंने उसका मान रखने को तुम्हारा नाम लिखा " " विद्या ""   और सच मानो कल रात  इतने सुकून की नींद आई 
 जैसे तुम मुझे थपकी देकर सुला रही हो 


माँ खुश रहा करो इतने सारे नाती पोते ../ पोतिया हैं न चारो तरफ जो तुम्हे तुम्हारे बच्चो से भी ज्यादा प्यार करते हैं .बड़ा अच्चा लगता हैं बच्चो के संग तुमको ठहाके लगते हुए देखना 

 और हाँ अबकी बार मैं जब आऊंगी ना .मुझे बेसन  की सब्जी खानी हैं तुम्हारे हाथ की और.आलू बड़ी की सब्जी ........

 इंतज़ार कर रही हो ना ...कभी आज तक शब्दों में तो नही कहा ....... पर यहाँ लिख रही हूँ ..माँ मुझे तुम से बहुत प्यार हैं मुझे मेरी गलतियों के लिय क्षमा करना जो बचपने में अक्सर कर जाती थी आज खुद माँ बनकर आपकी भावनाए ज्यादा अच्छे से समझ पा रही हूँ    
 बस इश्वर तुमको अच्छी  और सुकून भरी जिन्द्दगी दे जब तक जीना  स्वाभिमान से जीना ... आपका साया हमें हमेशा प्यार देता रहे