Monday, November 25, 2013

आरुषि हत्याकांड . ::कसूरवार कौन?

आरुशी ह्त्या कांड ........माता पिता ने क्षणिक आवेश में आकर अपनी ही बेटी का कतल कर डाला और साथ ही उसका साथ देने वाले अपने नौकर का भी ....... उस एक पल में उनका गुस्सा इतना भयावह हो गया कि वोह भूल गये कि उनकी इकलोती बेटी हैं अगर  उन्होंने अपनी बेटी को अपने नौकर के साथ आपतिजनक स्तिथि ( जैसा की कहा जा रहा हैं ) में देखा तो एक प्रश्न उठना तो जायज है ना कि आरुशी ने ऐसा क्यों किया . नौकर औरआरुषि हम उम्र नही थे / अगरपुरुष नौकर रखा हुआ था तो क्या नुपुर तलवार को समय से घर नही आना चाहिए था / क्या एक माँ को उम्र के इस मोड़ पर अक्सर घर पर अकेले रहने वाली बेटी से दोस्ताना सम्बन्ध नही बनाने चाहिए थे / क्या एक पिता जो अपनी बेटियों के लिय हमेशा रक्षात्मक मुद्रा में रहता हैं उसको पहले कभी आभास भी नही हुआ अपनी बेटी और नौकर के बीच के रिश्ते के बारे में / उनकी और कोई संतान नही थी तो उन्होंने समर्पण क्यों नही किया पुत्री की आवेग में की गयी ह्त्या के बाद / उस महिला की जिन्दगी कितनी ख़राब हुयी होगी जिसका रिश्ता राजेश तलवार से जोड़ कर उसे कटघरे में खड़ा कर दिया गया था / नुपुर और राजेश तलवार ने एक जघन्य कृत्य किया हैं परन्तु हेमराज का कसूर भी कम नही साथ ही आरुशी का भी ..हाँ उनको जो सजा दी गयी वोह नही मिलनी चाहिए थी अपनी बच्ची को समझा बुझाकर अपने में बदलाव लाकर दो परिवारों को बर्बादी से बचाया जा सकता था .... मेरी तो बिनती हैं उन काम  काजी महिलाओ से जो अपनी आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर अपनी बेटियों को अकेले छोड़ जाती हैं kachhi उम्र की लडकिया इन्टरनेट और टी.वी से प्राप्त ज्ञान से बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हैं और सही गलत  भूल जाती हैं ....दादी और नानी के साथ रहना आजकल के बच्चे भी गवारा नही करते क्युकी उनके मन में अपरोक्ष रूप से उनकी माँ ही स्वतंत्रता का पाठ पढ़ा रही होती हैं अपनी स्वतंत्रता के नाम पर ........ समाज में आज अगर यह विसंगतिया आरही हैं उसके जिम्मेदार सिर्फ पुरुष नही हैं महिलाए भी हैं और संतान को दी जाती उनकी शिक्षा भी ............... एक परिवार का वातावरण अगर सही हो तो कोई भी लड़का या लड़की ऐसे किसी के बरगलाने में आकर अपना जीवन ख़राब नही करती और नाही संयुक्त परिवार के बच्चे मानसिक रूप से इतने कमजोर होते हैं कि जल्दी से दूसरो के प्रभाव में आजाये .......... समय की मांग हैं हमें अपने पारावारिक ढांचों की एक बार फिर से समीक्षा करनी होगीबच्चो पर विश्वास करे लेकिन अंधा नही उनकी मन की और शरीर की भाषा भी पढ़ना सीखे ....... पैसे कमाना एक कला हैं तो परिवार सम्हालना भी विज्ञान ......... ऐसा न हो कल विदेशो की तर्ज़ पर यहाँ भी गुड पेरेंटिंग की कक्षाए लगने लगे और घर के बुजुर्ग किसी वृद्ध आश्रम में सिसकिया लेते रहे .आज की युवा पीढ़ी कल बुजुर्ग होगी ......याद रहे ...........समय हैं आरुशी हत्याकांड से अपने आस- पास का वातावरण सुधारने का .न की तबसरा करने का / कोर्ट  की सजा /गुनाह  ठहराना  एक दम जायज  और  आने वाले समय में माता - पिता  को सबक .........
 नीलिमा  शर्मा 

Monday, November 11, 2013

13 नवंबर: लक्ष्मी कृपा पाने का एक और दिन, करिए इन में से कोई 5 काम...साभार दैनिक भास्कर . कॉम

कार्तिक माह की अमावस्या यानी दीपावली के बाद लक्ष्मी कृपा दिलाने वाला एक और खास दिन आ रहा है। यह दिन है बुधवार, 13 नवंबर 2013. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी या देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी से महालक्ष्मी के स्वामी यानी भगवान विष्णु पुन: जागते हैं। इसके पूर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से श्रीहरि शयन करते हैं और चार माह बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुन: जागते हैं। श्री विष्णु के शयन काल में सभी मांगलिक और विवाह आदि कार्य वर्जित रहते हैं। भगवान विष्णु के जागने का दिन होने की वजह से य यह बुधवार काफी खास है, इस दिन कुछ उपाय कर लिए जाए तो महालक्ष्मी की कृपा भी बहुत जल्द प्राप्त हो जाती है।
इस बुधवार से सभी मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे।
शास्त्रों के अनुसार जो लोग इस एकादशी पर व्रत रखते हैं उनके सभी पाप नष्ट होते हैं और महालक्ष्मी की प्रसन्न प्राप्त होती है।
- देवउठनी एकादशी पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाया जाता है। जो भी लोग इस परंपरा का निर्वाह करते हैं उनके घर में स्थाई लक्ष्मी वास करती हैं और जीवनभर धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती है। यदि आप तुलसी विवाह नहीं रचा सकते हैं तो कम से कम तुलसी का विशेष पूजन अवश्य करना चाहिए।
- यदि आप चाहे तो इस एकादशी पर व्रत भी रख सकते हैं। व्रत करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि यानी मंगलवार से ही शुद्ध-सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर विष्णु एवं लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाएं। द्वादशी तिथि यानी गुरुवार के दिन सुबह विष्णु पूजा के बाद गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भी भोजन करें।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे में जल लें और उसमें लाल मिर्ची के बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। इस उपाय से आपको मनचाहे स्थान पर प्रमोशन और ट्रांसफर मिलेगा। यह उपाय नियमित रूप से करना चाहिए।
किसी ऐसे शिव मंदिर में जाएं जो श्मशान में स्थित हो। उस मंदिर में शिवलिंग पर दूध, जल आदि अर्पित करें। दीपक लगाएं। इस उपाय स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। - इस दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर तुलसी के पत्तों की माला बनाएं और इसे महालक्ष्मी को अर्पित करें। ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।
- एकादशी की शाम को किसी मंदिर में एक सुपारी और तांबे का लोटा रख आएं। इसके साथ ही कुछ दक्षिणा भी रखें। इस उपाय से भी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। - इस दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
- एकादशी की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें। - किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल शिवलिंग पर चढ़ाना नहीं चाहिए।
प्रतिदिन पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं। - घर में लक्ष्मी को आमंत्रित करने के साथ ही उन्हें सहेज कर रखने के जतन करना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, नकदी और गहने-जेवरात की अलमारियां दक्षिण या पश्चिम की दीवारों पर हों और उत्तर या पूर्व की ओर खुलें। ख्याल रहे, इन अलमारियों पर दर्पण न लगा हो।
- लक्ष्मी, भगवान नारायण की पत्नी हैं और नारायण को अत्यंत प्रिय भी हैं। उनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है। शंख, मोती, सीप, कौड़ी भी समुद्र से प्राप्त होने के कारण नारायण को प्रिय हैं। अत: लक्ष्मी पूजन में समुद्र से प्राप्त वस्तुओं का उपयोग अधिक किया जाता है। अत: जब भी लक्ष्मी पूजन करें ये चीजें जरूर रखें। पूजन के बाद इन चीजों को धन स्थान पर स्थापित करने से धन वृद्धि होती है।
इस दिन लक्ष्मी-विष्णु के बाद प्रमुख द्वार पर लक्ष्मी के गृहप्रवेश करते हुए चरण स्थापित करें। - श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र को सिद्ध कराकर पूजा स्थान पर या तिजोरी में रखा जाता है।
- दक्षिणावर्ती शंख के पूजन व स्थापना से भी धनागमन और सुख प्राप्ति का लोकविश्वास है। - लक्ष्मी के साथ 11 कौडिय़ों की पूजा कर उन्हें पूजास्थल, तिजोरी एवं व्यवसाय स्थल पर रखना शुभ-समृद्धि दायक माना जाता है।
इस दिन आंकड़े के गणेश की पूजा व स्थापना से सम्पन्नता का आशीष मिलता है। - लक्ष्मी पूजन में एकाक्षी नारियल या समुद्री नारियल की पूजा करने एवं तिजोरी में इसे रखने से घाटा नहीं होगा एवं समृद्धि आएगी।
एकादशी की रात्रि में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ व अनुष्ठान करने से सफलता एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है। - रात्रि में लक्ष्मी पूजन करें और उस समय कमल के पुष्प अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें। इससे देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।


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