इंसान एक सामाजिक प्राणी हैं | खाना पीना सोना जागना सोचना बोलना सब समाज से प्रेरित होता हैं | समाज सभ्यता का आइना होता हैं | संस्कारों का रक्षक होने का दावा भी करता हैं| परन्तु वास्तव में समाज प्राणियों का समूह ही तो हैं | अपने को समाज में श्रेष्ठ साबित करने के लिय इंसान समाज के सामने एक अलग व्यवहार करता हैं परन्तु निजीतौर पर उसका व्यवहार भिन्न होता हैं | सामाजिकप्रतिष्ठा भी सामाजिक व्यवहार पर निभर हो जाती हैं | इतिहास गवाह हैं ऐसी हस्तियों का जिनकी व्यक्तिगत जिन्दगी और सामाजिक जिन्दगी में भिन्नता रही | लोगो की व्यतिगत जिन्दगी में झाँकने की परंपरा प्राचीन काल से चली आरही हैं | आज भी इतिहास के पन्ने खंगाले जाते हैं फलां शासक की व्यकिगत जिन्दगी के अमुक रहस्य थे |नेपोलियन से लेकर सद्दाम हुसैन , डायना से लेकर अन्ज्लिना जॉली , गुरुदत्त से लेकर रेखा तक सभी सेलेब्रिटी के व्यक्तिगत जिन्दगी के तार ढूढने के लिय खोजी लोग दिन रात एक किये रहते हैं जबकि इनकी व्यक्तिगत जिन्दगी में क्या हो रहा हैं \था उसका सामाजिक जिन्दगी पर कुछ भी असर नही पढ़ रहा था लेकिन फिर भी उनकी निजी लाइफ के किस्से चटकारे लेकर पढ़े लिखे जा राहे हैं | हर कोई महान नही होता सामान्य व्यक्तित्व के मालिक भी महान कार्य कर जाते हैं तो महान भी सामान्य सी जिन्दगी जीने को आतुर होते हैं | एक महान लेखक से किसी ने पुछा था कभी " आप जीवन में क्या लिखना चाहते हैं जो आप लिख नही सकते लेकिन " उन्होंने कहा
उन क्षणों को जो नितांत गोपनीय रहे क्युकी अगर मैंने उनको लिख डाला तो लोग मुझे आम समझने लगेगे मेरी महानता का एक ओउरा जो उनके चारो तरफ हैं दरक जाएगा < मैं भी एक आम इंसान हूँ मेरी भी कुछ इच्छाये हैं मेरे भी कुछ डार्क साइड हैं कही मैं भी जुनूनी हूँ |" तो क्या कहा जाए क्या हर इंसान अपने को सबके सामने उघाड़ कर रख दे? फिर सबके सामने उसका चरित्र चित्रण ( हनन) किया जाए .कुछ कमजोर पल हरेक की लाइफ में आते हैं गलतियां मौज मस्तियाँ खामोशिया ,पश्चाताप निजी होने चाहिए | समाज के सामने दोहरा जीवन न जिया जाए लेकिन सबकुछ ओपन भी न किया जाए तो बेहतर रहता | हमारी व्यक्तिगत लाइफ तभी तक मजेदार और हमारी अपनी होनी चाहिए जब तक उस'से किसी एनी को नुक्सान ना हो | खोजी पत्रकारिता में ब्रेकिंग न्यूज़ ने सबसे ज्यादा नुक्सान सबकी पर्सनल लाइफ को पहुँचाया हैं |डायना स्पन्सर की मौत इसी वज़ह से हुयी , न उनके पर्सनल रिश्ते किसके साथ हैं खोजने को पत्रकार उनके पीछे दौड़ते ना ना उनकी चार का एक्सीडेंट होता | नेहरु जी गाँधी जी की मृत्यु पश्चात भी उनके व्यक्तिगत लाइफ स्टाइल को लेकर अनेकोने कहानिया अक्सर देखि सुनी पढ़ी जाती हैं| हरेक को अपनी पसंद से जीने का हक होना चाहिए , हरेक को हक हैं वो अपने दायरे में रहकार कुछ भी ऐसा करे जिस'से किसी का नुक्सान ना हो तो कोई हक नही बनता की हम उनकी लाइफ में दखल दे |इतिहास दफन घटनाओं संस्कारों और घटनाओं का नाम हैं परन्तु एक समाचार बनाने के लिय किसी की भी व्यक्तिगत जिन्दगी पर पत्थर उछालना या झांकना अपराध हैं| व्यक्तिगत स्वतंत्रता वैसे भी हर इंसान का मौलिक अधिकार हैं | वैसे लोग अपने दामन में लगे कीचड को नही देखते और दूसरो के साफ कपड़ो पर भी कोई दाग ढूढने की कोशिश में लगे रहते
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हर इंसान की एक व्यक्तिगत ज़िन्दगी होती है
मसलन उसके आम व्यक्तित्व से परे
इतिहास के पन्ने विशेष नामों से भरे पड़े हैं
वर्तमान में भी सोच से परे लोग जीते हैं कुछ व्यक्तिगत लम्हे ....
यदि इस व्यक्तिगत ज़िन्दगी से कोई नुक्सान नहीं है
उसके कर्तव्यों में कोई अंतर नहीं है
ना ही वह दृष्टिगत है
तो क्या उसे रात-दिन अथक प्रयास से ढूँढना
और उछालना सही है ? .