यह जीवन हैं
हर पल को भरपूर जियो
हर पल कुछ खास होता हैं
और दुबारा लौट कर नही आता
जियो जी भरकर
जीने के लिए बहाने की तलाश क्यों ?
हर पल को भरपूर जियो
हर पल कुछ खास होता हैं
और दुबारा लौट कर नही आता
जियो जी भरकर
जीने के लिए बहाने की तलाश क्यों ?
एक जूनून हैं जिन्दगी
एक शतरंज हैं जिन्दगी
और तुम उसके प्यादे
ज्यादा सोचकर जो खेले तो
चाल बिगड़ जाएगी
पहले खुद को समझो
फिर उनको .जो प्यार करते हैं
बे-इन्तहा तुमको
जो चीज़ तुम्हे ख़ुशी देती हैं
शायद उनको न दे
सो अपने साथ उनको रख कर जियो
कभी बचपन को जियो इस उम्र में भी
कभी नृत्य करो मतवालों की तरह किसी भी धुन पर
लिखो जो कहना हैं , कहो जो लिखना हैं कभी शब्दों में
अपने अंदर के डर को जीत लिया तो जग जीत लोगे
तुम्हारा कभी शोर मचाने का मन करता हैं ?
कभी जमीन पर बैठकर हाथ से भात खाने का भी ?
कभी चाहा हैं के दूसरो की तरह बन जाऊ?
करो जो भी मन चाहता हैं .......... दिल से
खुद की सराहना चाहिए न तो पहले सराहो उनको भी
मन के धुधले बादल यु ही छंट जायेंगे
एक बार जरा बच्चे की तरह बेसबब
खिलखिलाओ तो सही .
समस्याए किसको नही होती
तुमको भी हैं तो मुझे भी
इसको भी हैं तो उसको भी
जिन्दगी सब जी रहे हैं .
जरुरत बस नजरिया बदलने की हैं
खुद को पहचान लेने की है
एक बार तो खुलकर जी लो .
बस इसी तरह मुस्करा तो दो
सब कुछ आसान हैं यहाँ
बस ...............
पहचान नही किसी को ....
.
.
.
कुछ विचार .......कुछ भावनाए ..... जो कभी कही किसी से .........जो कभी सुनी किसी से ............नीलिमा —
एक शतरंज हैं जिन्दगी
और तुम उसके प्यादे
ज्यादा सोचकर जो खेले तो
चाल बिगड़ जाएगी
पहले खुद को समझो
फिर उनको .जो प्यार करते हैं
बे-इन्तहा तुमको
जो चीज़ तुम्हे ख़ुशी देती हैं
शायद उनको न दे
सो अपने साथ उनको रख कर जियो
कभी बचपन को जियो इस उम्र में भी
कभी नृत्य करो मतवालों की तरह किसी भी धुन पर
लिखो जो कहना हैं , कहो जो लिखना हैं कभी शब्दों में
अपने अंदर के डर को जीत लिया तो जग जीत लोगे
तुम्हारा कभी शोर मचाने का मन करता हैं ?
कभी जमीन पर बैठकर हाथ से भात खाने का भी ?
कभी चाहा हैं के दूसरो की तरह बन जाऊ?
करो जो भी मन चाहता हैं .......... दिल से
खुद की सराहना चाहिए न तो पहले सराहो उनको भी
मन के धुधले बादल यु ही छंट जायेंगे
एक बार जरा बच्चे की तरह बेसबब
खिलखिलाओ तो सही .
समस्याए किसको नही होती
तुमको भी हैं तो मुझे भी
इसको भी हैं तो उसको भी
जिन्दगी सब जी रहे हैं .
जरुरत बस नजरिया बदलने की हैं
खुद को पहचान लेने की है
एक बार तो खुलकर जी लो .
बस इसी तरह मुस्करा तो दो
सब कुछ आसान हैं यहाँ
बस ...............
पहचान नही किसी को ....
.
.
.
कुछ विचार .......कुछ भावनाए ..... जो कभी कही किसी से .........जो कभी सुनी किसी से ............नीलिमा —