Thursday, October 18, 2012

यह जीवन हैं 
हर पल को भरपूर जियो 
हर पल कुछ खास होता हैं 
और दुबारा लौट कर नही आता 
जियो जी भरकर 
जीने के लिए बहाने की तलाश क्यों ?
एक जूनून हैं जिन्दगी
एक शतरंज हैं जिन्दगी
और तुम उसके प्यादे
ज्यादा सोचकर जो खेले तो
चाल बिगड़ जाएगी
पहले खुद को समझो
फिर उनको .जो प्यार करते हैं
बे-इन्तहा तुमको
जो चीज़ तुम्हे ख़ुशी देती हैं
शायद उनको न दे
सो अपने साथ उनको रख कर जियो
कभी बचपन को जियो इस उम्र में भी
कभी नृत्य करो मतवालों की तरह किसी भी धुन पर
लिखो जो कहना हैं , कहो जो लिखना हैं कभी शब्दों में
अपने अंदर के डर को जीत लिया तो जग जीत लोगे
तुम्हारा कभी शोर मचाने का मन करता हैं ?
कभी जमीन पर बैठकर हाथ से भात खाने का भी ?
कभी चाहा हैं के दूसरो की तरह बन जाऊ?
करो जो भी मन चाहता हैं .......... दिल से
खुद की सराहना चाहिए न तो पहले सराहो उनको भी
मन के धुधले बादल यु ही छंट जायेंगे
एक बार जरा बच्चे की तरह बेसबब
खिलखिलाओ तो सही .
समस्याए किसको नही होती
तुमको भी हैं तो मुझे भी
इसको भी हैं तो उसको भी
जिन्दगी सब जी रहे हैं .
जरुरत बस नजरिया बदलने की हैं
खुद को पहचान लेने की है
एक बार तो खुलकर जी लो .
बस इसी तरह मुस्करा तो दो
सब कुछ आसान हैं यहाँ
बस ...............
पहचान नही किसी को ....
.
.
.
कुछ विचार .......कुछ भावनाए ..... जो कभी कही किसी से .........जो कभी सुनी किसी से ............नीलिमा —