'अकेली होती हूँ तो आपकी यादे चारो तरफ से घेर लेती हैं , कानो में आपकी आवाज़े गूंजती हैं और मैं यहाँ इस नदी के किनारे पर आकर बैठ जाती हूँ और एक चलचित्र की तरह यादे चलती रहती हैं सामने , पर मुझे लफ्ज़ नही मिलते उन यादो को लिखने के लिय ,समेटने के लिय बस अहसासों में जी लेती हूँ
मेरी सुबकिया
सिसकिया किसी के लिय मायने नही रखती मेरेआंसू भरी आँखे जब जाते हुए बरस को मुड़ कर देखती हैं तो एक आह निकल जाती हैं एक टीस उभर आती हैं और मैं फिर से उदास होकर आपको याद करने लगती हूँ | अनेक पश्चाताप मन में आते हैं अब जब सबसे सुनती हूँ आपके दर्द की कहानिया और नाराजगी होती हैं अपनी बेबसी से और बुरा लगता हैं अब अपना मौन | काश मैंने भी आपका दर्द महसूस किया होता काश कुछ भागीदार होती आपकी तो एक स्पर्श मेरा भी होता कि इश्वर पर भरोसा रखो सबका अपना अपना भाग्य ...... न किस्मत ले सकते हैं ना दे सकते हैं किसी को , कम से कम दिलासा तो होता आपको कि दर्द तनहा नही पिया आपने ......... मिलोगे न आप क़यामत के रोज़ .माफ़ी मांगनी हैं आपसे . काश यह प्रकृति भी मेरे मन को शांत कर पाती जितना आपने अपने मन को शांत रखा था | प्लीज लौट आओ न किसी भी बहाने से / मेरा मन बहुत उदास हैं आपके चले जाने से