Wednesday, September 16, 2009

Ahsas


आज मन बहुत कुछ सोच रहा है ढेर सारे सपने ओर साधन सिमित .मन की उडान बहुत ऊँची होती है ओर दुनिया की धरती बहुत ही सख्त मन उरना भी चाहे तो कितना उरः लेगा .में उर्हती भी हु तो अपने होसलो से .बस होसले नही टूटने नही चाहिय ..अपने होसलो की कितनी परवाह रहती है न सबको ...

मेरे मन का पक्षी

अपने छोटे से घोसले मई बेठे बेठे

कई सपने बुनता है

कई सपने सच भी हो जाते है

कई सपने अधूरे भी

यह मन तब भी अनगिनत

सपने देखना नही भूलता

बस मेरे मन का पाखी

हवा क झोंके से

तेज़ दोर्हता हुआ

दूर तक चला जाता है

मन को कभी एक

संतुष्टि का भावः मिलता है

कभी असंतुष्टि का

मेरे aहसास कभी मरते नही तब भी

तब देखती है ये नीलिमा एक नया सपना

चाहे पूरा हो या न हो

सपने न देखू तो शायद मेरे अहसास

ही मर जायेगे ...........................................नीलिमा शर्मा