कार्तिक माह की अमावस्या यानी दीपावली के बाद लक्ष्मी कृपा दिलाने वाला एक और खास दिन आ रहा है। यह दिन है बुधवार, 13 नवंबर 2013. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी या देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी से महालक्ष्मी के स्वामी यानी भगवान विष्णु पुन: जागते हैं।
इसके पूर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से श्रीहरि शयन करते हैं और चार माह बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुन: जागते हैं। श्री विष्णु के शयन काल में सभी मांगलिक और विवाह आदि कार्य वर्जित रहते हैं।
भगवान विष्णु के जागने का दिन होने की वजह से य यह बुधवार काफी खास है, इस दिन कुछ उपाय कर लिए जाए तो महालक्ष्मी की कृपा भी बहुत जल्द प्राप्त हो जाती है।
इस बुधवार से सभी मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे।
इस बुधवार से सभी मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे।
शास्त्रों के अनुसार जो लोग इस एकादशी पर व्रत रखते हैं उनके सभी पाप नष्ट होते हैं और महालक्ष्मी की प्रसन्न प्राप्त होती है।
- देवउठनी एकादशी पर तुलसी और शालिग्राम का विवाह रचाया जाता है। जो भी लोग इस परंपरा का निर्वाह करते हैं उनके घर में स्थाई लक्ष्मी वास करती हैं और जीवनभर धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती है। यदि आप तुलसी विवाह नहीं रचा सकते हैं तो कम से कम तुलसी का विशेष पूजन अवश्य करना चाहिए।
- यदि आप चाहे तो इस एकादशी पर व्रत भी रख सकते हैं। व्रत करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि यानी मंगलवार से ही शुद्ध-सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर विष्णु एवं लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। भगवान को तुलसी के पत्ते भी चढ़ाएं। द्वादशी तिथि यानी गुरुवार के दिन सुबह विष्णु पूजा के बाद गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भी भोजन करें।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और तांबे के लोटे में जल लें और उसमें लाल मिर्ची के बीज डालकर सूर्य को अर्पित करें। इस उपाय से आपको मनचाहे स्थान पर प्रमोशन और ट्रांसफर मिलेगा। यह उपाय नियमित रूप से करना चाहिए।
किसी ऐसे शिव मंदिर में जाएं जो श्मशान में स्थित हो। उस मंदिर में शिवलिंग पर दूध, जल आदि अर्पित करें। दीपक लगाएं। इस उपाय स्थाई लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर तुलसी के पत्तों की माला बनाएं और इसे महालक्ष्मी को अर्पित करें। ऐसा करने से धन में वृद्धि होगी।
- एकादशी की शाम को किसी मंदिर में एक सुपारी और तांबे का लोटा रख आएं। इसके साथ ही कुछ दक्षिणा भी रखें। इस उपाय से भी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
- इस दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
- एकादशी की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा।
रात को सोने से पहले किसी चौराहे पर तेल का दीपक जलाएं और घर लौटकर आ जाएं। ध्यान रखें पीछे पलटकर न देखें।
- किसी शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल शिवलिंग पर चढ़ाना नहीं चाहिए।
प्रतिदिन पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है। मां लक्ष्मी घर में आती हैं।
- घर में लक्ष्मी को आमंत्रित करने के साथ ही उन्हें सहेज कर रखने के जतन करना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, नकदी और गहने-जेवरात की अलमारियां दक्षिण या पश्चिम की दीवारों पर हों और उत्तर या पूर्व की ओर खुलें। ख्याल रहे, इन अलमारियों पर दर्पण न लगा हो।
- लक्ष्मी, भगवान नारायण की पत्नी हैं और नारायण को अत्यंत प्रिय भी हैं। उनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है। शंख, मोती, सीप, कौड़ी भी समुद्र से प्राप्त होने के कारण नारायण को प्रिय हैं। अत: लक्ष्मी पूजन में समुद्र से प्राप्त वस्तुओं का उपयोग अधिक किया जाता है। अत: जब भी लक्ष्मी पूजन करें ये चीजें जरूर रखें। पूजन के बाद इन चीजों को धन स्थान पर स्थापित करने से धन वृद्धि होती है।
इस दिन लक्ष्मी-विष्णु के बाद प्रमुख द्वार पर लक्ष्मी के गृहप्रवेश करते हुए चरण स्थापित करें।
- श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र को सिद्ध कराकर पूजा स्थान पर या तिजोरी में रखा जाता है।
- दक्षिणावर्ती शंख के पूजन व स्थापना से भी धनागमन और सुख प्राप्ति का लोकविश्वास है।
- लक्ष्मी के साथ 11 कौडिय़ों की पूजा कर उन्हें पूजास्थल, तिजोरी एवं व्यवसाय स्थल पर रखना शुभ-समृद्धि दायक माना जाता है।
इस दिन आंकड़े के गणेश की पूजा व स्थापना से सम्पन्नता का आशीष मिलता है।
- लक्ष्मी पूजन में एकाक्षी नारियल या समुद्री नारियल की पूजा करने एवं तिजोरी में इसे रखने से घाटा नहीं होगा एवं समृद्धि आएगी।
एकादशी की रात्रि में रामरक्षा स्तोत्र का पाठ व अनुष्ठान करने से सफलता एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जा सकता है।
- रात्रि में लक्ष्मी पूजन करें और उस समय कमल के पुष्प अर्पित करें और कमल गट्टे की माला से लक्ष्मी मंत्र ऊँ महालक्ष्मयै नम: का जप करें। इससे देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
यह पोस्ट दैनिक भास्कर .कॉम से कॉपी की गयी हैं
5 comments:
बढ़िया और उपयोगी जानकारी ... आभार आपका !
बहुत उपयोगी जानकारी दी अपने .. बहुत आभार
Nice sharing neelimaji
अच्छी जानकारी है ...
Very Informative.....is baar to chook gayee...agli baar sahi...:)
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