Wednesday, December 17, 2014

मन का कोना

माँ को अभी गये १० दिन हुए थे और मैं आंसू पोंछ कर उनके घर पर थी उनके एकलौते बेटे की शादी थी रिश्ता तो ससुराल से था परन्तु मायके से एक ही गोत्र होने के कारन उन्होंने अपने बेटे को मुझसे राखी टिक्का कराया क्युकी उनकी अपनी कोई बेटी न था | कई बरस मैंने उनके देने के बावजूद राखी पर कोई शगुन नही लिया की जब कमाएगा तब देगा | समय गुजरता गया नौकरी लग गयी उनके बेटे के , मुझे भी राखी पर उपहार मिलने लगे सब ठीक सा रहा अपने भाइयो के साथ मैंने उनके बेटे को भाई मान कर हमेशा जन्मदिन दीवाली पर उपहार दिए . बेटे की शादी तय होने लगी मुझे बहन बनाकर साथ ले गये परन्तु उसके ससुराल वालो के लिय मैं बस उनकी रिश्तेदार थी , रिश्ता ना चाहते हुए भी वही हो गया , मेरे भाई के गुजर जाने पर जैसे सब अचानक बदल गया \ खुद तो वोह आई मेरे भाई की मृत्यु पर अफ़सोस करने परन्तु अपने बेटे को नही आने दिया न कोई कॉल आया उसका .की मत रोवो मैं भी तो हूँ न तुम्हारा भाई | मन को समझाया हलके स्वर में शिकायत भी की तो बोली मैं क्या करू आजकल के बच्चे ऐसे ही हैं क्या पता उसने कॉल किया हो तुमने ही न उठाया हो | अब राखी पर मैं अपने होम टाउन में थी एक दम अकेली , ४८ घंटे तक मैंने घर का ताला भी नही खोला २४ घंटे तक एना का दाना भी मुंह में नही लिया जवान भाई के जाने का गम सीने में लिय जार जार रोटी रही मेरी इतनी उम्र में पहली राखी ऐसी गुजरी जब मैंने किसी कलाई पर राखी नही बंधी , सब भाई बहन अपने अपने घर के कोने में रोते रहे पर उस भाई ने एक बार भी कॉल नही की की मैं हूँ ना ! , बस मेरे नाम का एक सूट डेल्ही में बच्चो के पास छोढ़ दिया की राखी के नाम का , तब भी बुरा लगने के बावजूद मैंने कुछ नही कहा | रिश्ते हैं निभाने पढ़ते हैं कई बार वैसे भी मेरी तस्वीर कुछ और ही बनायीं हैं उन्होंने सब जगह . माँ का ग्यारहवा दिन और उनके उसी एक्लोते बेटे की सगाई ...मैं आंसू पोंछ कर सबसे आगे मौजूद थी जिम्मेदारी से सब सम्हालते हुए अगले रोज बारात में सब आंसू संताप भूलकर फिर से बारात से लेकर बहु को घर लाने तक सब रोले अदा किये ...... करवाचौथ से दीवाली तक सब त्यौहार का नेग लेकर उनकी बहु का शगुन किया ..............आज भाई दूज हैं और मैं दिल्ली में ही हूँ .............और वोह भाई नही आया क्युकी माँ का कहना हैं उसके साले ने आना हैं ...........उसकी बहु आगयी अब ---------- कहाँ सुनते हैं आजकल के बच्चे माँ की बात _______ अब क्या कहूँ मैं भी ..........जब मेरा अपनाछोटा भाई नही रहा तो दूसरा कहाँ भाई बनेगा . रिश्ते भावनाओं से बनते हैं सुना था पर आज जब मुझे भावनात्मक सपोर्ट की जरुरत थी तो कहाँ गये वोह राखी के धागे ............ और मैं बेवाकूफ अपनी माँ के लिय सही से रो भी न पायी कि किसी के ब्याह का शगुन ख़राब न हो ......................... मन बहुत आंदोलित हैं कोई कुछ भी कहे अब मैं हर्ट हूँ तो हूँ बस
मन का कोना ........कभी कभी खोलना ही पड़ता हैं ...

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