आज मिल रही हैं धरती अपने आसमान से शायद आखिरी बार , ख़ामोशी से आसमान आज उतर आया धरती की आलिंगन करने | पिता आसमान ही होता है ना और माँ धरती , धरती पुकारती रही आसमान को ...............
आसमान की रही होगी कुछ अपनी मजबुरिया , जार जार रो रहा हैं आज आसमान , कैसे कहे विदा अपनी इस धरती को जिसने न जाने कितनी बार सहे भूकंप कितनी बार सैलाब आये पर फिर भी साथ रही आसमान के . क्षितिज तक साथ उनका पर फिर भी आज अलग थलग .से दीखते रहे .. आज आसमान चाहता था धरती को दर्द से मुक्त करना . और धरती अपने दामन में अपने हिस्से के दर्द चीत्कारे आहे गम लेकर सो रही हैं और उसका अचेतन मन मांग रहा हैं मुक्ति इन सबसे .....पर सब तक साँस हैं तब तक आस हैं धरती के हर पौधे को हर पेड़ को .जिन्दगी की .चमत्कार की
यह वो दिन था जब भापा जी ( पापा) माँ से मिलने हॉस्पिटल गये थे और माँ कोमा में चली गयी थी उनका इंतज़ार करते करते ...और कभी न लौट कर आई और पापा भी दो महीने बाद उनके पास चले गये
आसमान की रही होगी कुछ अपनी मजबुरिया , जार जार रो रहा हैं आज आसमान , कैसे कहे विदा अपनी इस धरती को जिसने न जाने कितनी बार सहे भूकंप कितनी बार सैलाब आये पर फिर भी साथ रही आसमान के . क्षितिज तक साथ उनका पर फिर भी आज अलग थलग .से दीखते रहे .. आज आसमान चाहता था धरती को दर्द से मुक्त करना . और धरती अपने दामन में अपने हिस्से के दर्द चीत्कारे आहे गम लेकर सो रही हैं और उसका अचेतन मन मांग रहा हैं मुक्ति इन सबसे .....पर सब तक साँस हैं तब तक आस हैं धरती के हर पौधे को हर पेड़ को .जिन्दगी की .चमत्कार की
यह वो दिन था जब भापा जी ( पापा) माँ से मिलने हॉस्पिटल गये थे और माँ कोमा में चली गयी थी उनका इंतज़ार करते करते ...और कभी न लौट कर आई और पापा भी दो महीने बाद उनके पास चले गये
1 comment:
nishabd .....maa ko sadar naman
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