आज सुबह माँ की बहुत याद आरही थी मन कर रहा था कि बस एक बार नजर भर देख लू उनको सब कह रहे हैं कि माँ बहुत कमजोर हो गयीं हैं पीठ भी झुकने सी लगी हैं ...पर कभी अपनी तबियत और कभी घर की मसरूफियते जाने ही नही देती थी .आज ११ बजे पापा का फ़ोन आया की तुम्हारी माँ का मन बहुत उदास हैं तुमसे मिलने को ...तुम क्या बना रही हो? बिना प्याज का खाना बनाना तुम्हारी माँ और मैं तुम्हे मिलने आ रहे हैं बस २५-३० मिनट्स का लगेगे हमें पहुँचने में ...... सुस्ताई सी चाल में फुर्ती भर गयीं घर में शोर मच गया माँ आरही थी अरसे बाद मेरे घर बेटे ने जल्दी से डस्टिंग की बेडशीट्स बदल दी और मैंने रसोई में मोर्चा सम्हाला जहाँ आज दोपहर का मेनूखिचड़ी था वहाँ पनीर और दाल और करेले बन गये .पापा की पसंद के बिस्कुट मंगवाए .और माँ के आने पर जब हाथ पकड़ कर उनको इन्नोवा से उतारा आँसू ही नही थम रहे थे मन ने बस चाह की समय रूक जाए यही मैं फिर से बच्ची बन जाऊ पर बच्चे मुझे यु देखकर हैरान थे .५ साल से होस्टल में रहने वाला बेटा बोला माँ आप बड़ी मम्मी को देख आज २४ साल बाद ही इतनी भावुक हो रही हो जब शादी होकर आई थी तब क्या हाल रहा होगा ...अब कोई कैसे बताये माँ - बेटी के रिश्ते मैं उम्र या सालो बाद मिलना मायने नही रखता ... ढेर साडी बाते की माँ के साथ पापा के साथ .. मेरी लिखी कविताये पढ़ी उन्होंने पर माँ बोली मेरे घर आने वाली अखबार में छपनी चाहिए तेरी लिखी कोई कहानी या कविता ...तो अब जीजू anil royal ji माँ की यह इच्छा पूरी करनी हैं .चलते चलते पापा Malik rajkumar ji का लिखा उपन्यास बाईपास ले गये और खुश भी हुए यह तो अपने पासे का बंदा हैं ..... माँ का लाया सूट और मुठ्ही में पकडाया हुआ ५०० का नोट मेरी जिन्दगी की सबसे कीमती धरोहर हैं स्नेह से भीगा यह नोट ..................
माँ ऐसे ही होती हैं न ............. हाँ मेरी माँ ऐसे ही हैं .पर जाते जाते न जाने ऐसा क्यों कह गयीं के मेरी जिन्दगी थोड़ी हैं अब ..एक बार आ जा कुछ दिन को साथ रहने .......और दिल किया माँ का हाथ पकड़ कर मैं भी बैठ जाऊ इन्नोवा में .पर धियान जम्देयाँ हों परायियाँ ..... ........फिर माँ ने मेरे आँसू देख खुद ही कहा अच्छा अब उदास मत हो जल्दी आऊंगी मैं वापिस ...............
मैंने हाथ थाम कर कहा.....कही नही जाना तुमने समझी ना जब तक मेरे दोनों बेटो के बच्चो की बड़ी वाली मम्मी नही बन जाती ....माँ भोली सी हंसी हंस दी ......... और मैं .................. खोयी हूँ माँ की यादो में ........
माँ ऐसे ही होती हैं न ............. हाँ मेरी माँ ऐसे ही हैं .पर जाते जाते न जाने ऐसा क्यों कह गयीं के मेरी जिन्दगी थोड़ी हैं अब ..एक बार आ जा कुछ दिन को साथ रहने .......और दिल किया माँ का हाथ पकड़ कर मैं भी बैठ जाऊ इन्नोवा में .पर धियान जम्देयाँ हों परायियाँ ..... ........फिर माँ ने मेरे आँसू देख खुद ही कहा अच्छा अब उदास मत हो जल्दी आऊंगी मैं वापिस ...............
मैंने हाथ थाम कर कहा.....कही नही जाना तुमने समझी ना जब तक मेरे दोनों बेटो के बच्चो की बड़ी वाली मम्मी नही बन जाती ....माँ भोली सी हंसी हंस दी ......... और मैं .................. खोयी हूँ माँ की यादो में ........
6 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज मंगलवार (27-08-2013) को मंगलवारीय चर्चा ---1350--जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है
में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मन को छूती है आपकी पोस्ट ...
माँ की बातें ...
शुक्रिया शास्त्री जी
शुक्रिया अरुण जी
शुक्रिया दिगंबर जी
बेहद मर्मस्पर्शी लेखन ...!
सार्थक सृजन...!
सादर
अनुराग
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