Wednesday, January 29, 2014

बहुत याद आओगे हमेशा

सुबह सुबह लैंड लाइन की बेल बजी . सर्दी थी और मन नही किया की उठकर दूर रखे फ़ोन को उठाऊ  .सोचा बजने देती हूँ जिसका होगा सेल पर कॉल करेगा  या दुबारा बाद में कर लेगा ....... बेल लगातार बज रही थी  फिर उठकर फ़ोन उठा ही लिया  कालर ऑय डी में भाई का नंबर था  फ़ोन उठाते ही भैया की भरी हुयी आवाज़ सुनाई दी तेरी तबियत ठीक हैं  ,मैंने हाँ ठीक हूँ आपकी ठीक नही लग रही .बोले नही मैं तो ठीक हूँ पर एक बुरी खबर हैं  किशोर नही रहा ........ मैंने झट से कहा कौन किशोर? अपना किशोर नरिंदर वीर जी का बेटा  !!! हाआआआअ........... झट से बैठ गयी मैं सामने बिस्तर पर .रात एक बजे तक तो मैंने भी देखा उसको यहाँ फेसबुक पर ऑनलाइन आप कह रहे सुबह ५ बजे चला गया अनंत यात्रा पर ........
         अभी मायके से लौटी हूँ  उसके अंतिम संस्कार के पश्चात  सब चचेरे भाई बहन   रिश्तेदार वहां एकत्र थे किशोर  मेरे ताऊ जी के बेटे नरिंदर वीर जी का बेटा  था  नरिंदर वीर जी की मृत्यु भी २३ साल पहले ट्रेन एक्सीडेंट में हो गयी थी  माँ ने बहुत मुश्किलों से  अपने बेटो कोपढाया था  आज इतिहास फिर से उनके घर की दहलीज़ पर खड़ा था   आज फिर एक  सुहागन  चीखे मार मार  कर रो रही थी की मैं रात को ३ बजे तक बाते करती रही उसके बाद ही सोयी  ......... और सुबह ६ बजे बेटे ने कहा पापा उठो आज मुझे स्कूल छोड़ने आप चलना  .मैं रिकक्षा से नही जाऊंगा  ........ और पापा एक दम ठन्डे  चुपचाप बिना किसी को तकलीफ दिए ...... सिर्फ ब्लड प्रेशर  थोडा ज्यादा था रात को और दवाई ली थी उसकी ........... डाक्टर कहते हैं .हार्ट sunk हो गया  .............


    .  वहां जाकर एक अजीब से  विरक्ति हुयी .एक फेस बुक पर पढ़ी कविता की लाइन भी याद आई "समूह में रोती हैं स्त्रियाँ " माँ के अपने कारन थे पत्नी के अपने हम बहनों के अपने   भाई के अपने .सबके पास कारन थे उसके जाने पर रोने के .परन्तु इश्वर  के पास क्या कारन था उसको अपने पास ले जाने का  क्या उसके बेटे को बाप की जरुरत नही थी  क्या उसकी पत्नी  जिसका न कोई भाई हैं  न उसका पिता  उसका भी ख्याल नही आया .. सिर्फ ८ साल की शादीशुदा जिन्दगी भी कोई  जिन्दगी होती हैं ..और मां उम्र भर पति के बिना रह कर अब बेटो के सहारे बुडापा काटने की सोच रही थी .....मन बहुत उदास हैं ......लगता हैं दुनिया कुछ भी नही ....अगर यह देह  किशोर हैं तो देह तो हमारे सामने हैं किशोर कहा हैं ? अगर किशोर एक आत्मा थी  तो यह देह क्या थी ? क्यों हम मोह कर रहे थे इस देह का ...........लेकिन अपने हाथो पाला  बड़ा हुआ किशोर .जिसने सबसे पहले  हमें बुआ होने का अहसास दिलाया था  खानदान का पहला  पोता जिसके पैदा होने पर हमारी दादी ने कहा था  आगया मुझे सोने की पौड़ी चडाने  वाला ................ आज सबसे मोह तोड़ कर ना जाने कौन से लौक में चला गया हमें रोता बिलखता हुआ छोड़  कर ........
 लव यू मेरे भाई  तुम हमेशा याद आओगे .तुम्हारे जाने का दिन नही था आज ........  अभी तुझे बहुत साल जीना चाहिए था .पत्नी रिया के लिय बेटे अमन के लिय अपनी माँ शशि  भाभी के लिय